Namaz

Namaz E Shab in HIndi, Namaz E Shifa, Namaz E Tahajjud, नमाज़े शब

Namaz E Shab in HIndi

Namaz E Shab in HIndi: नमाज़े शब 11 रकत नमाज़ है  पहली 8 रकत नमाज़ आपको इसी तरह पढ़नी है जैसे सुबह की नमाज़ पढ़ते है

नमाज़े शब की नियत:

Namaz E Shab in HIndi (हम नामज़े शब, नमाज़े ए तहज्जुद या नाफला ए लैल पढ़ते है क़ुर्बतन इलल्लाह ) किसी भी नियत का ज़बान पर दोहराना ज़रूरी नहीं है दिल में कह देना काफी है  नियत करने के बाद आपको 2-2 रकत करके 8 रकत नमाज़ पढ़नी है ! मतलब तशुद सलाम के साथ 2 रकत नमाज़ तमाम करे और फिर दोबारा नियत करे के में नमाज़ ए शब् पढता हू क़ुर्बतन इलल्लाह !

पहली 2 रकत में अल्हम्द के बाद सुरहा कुल्होवल्लाह हो अहद और दूसरी रकत में अल्हम्द के बाद कुल्याहियोहल काफ़िरून पढ़नी है अगर आपको ये सुराह याद नहीं तो आप सुबह की नामज की तरह भी पढ़ सकते है कोई मसला नहीं है लेकिन ये बेहतर तरीका है !

बाकी की 6 रकत में आप जो चाहे वो छोटा सुरहा पढ़ सकते है जब आप 8 रकत नफला से फारिख हो जाये तो तस्बी ए जनाबे फ़ात्मा ज़ेहरा सलामुल्लाह अलैहि पढ़े !

नमाज़े ए शिफा 2 रकत :

नियत:- हम नाफला ए शिफा या नमाज़े ए शिफा पढ़ते है क़ुर्बतन इलल्लाह !

पहली रकत में कुल हुवल्लाहु अहद एक मर्तबा पढें और दूसरी रकअत में सूरह हम्द के बाद सूरह कल अऊजु बि-रब्बिल फलक पढ़ें।

दुआः बादे नमाजे शिफ़ा:

बिसमिल्ला हिर रहमानिर रहीम इलाही तअररज़ा लका फी हाज़ल्लैलिल मुतअररिजूना व कसदक़ल क़ासिदूना व अम्मला फ़ज़-ल-क व मारू-फ़कत-त लिबू-न व लका फ़ी हाज़ल्लैलि नफाहातुन व जवाइजु व अताया व मवाहिबु तमुन्नु बिहा अला मन तशाउ मिन अबादिका व तमन-उहा मल्ल्म तबिकु लहुल इनायतु मिनका वहा अना जा उबैदुकल फकीर इलैकल मुअम्मिलु फज्लका व मारूफका फइन कुन्ता या मौलाया तफज्ज़ल्ता फी हाज़िहिल्लै-लति अला अहदिम मिन खल्कि-क व उदता अलहि बि-आइ-दतिन मिन अतफि-क फस्वल्लि अला गुहम्मादव व आलि महम्मदित तययबीनत्ताहिरीनल खैययरीनल फाजिलीना व जद अलय्या बितौलिका व मारूफिका या रबबल आलमीन, व सल्लल्लाहु अला महम्मदिन खातमिन्नबिय्यीना वआलिहित्ता हिरीना वसल्लमा तस्लीमा, इन्नल्लाहा हमीदुम्मजीद, अल्लाहुम्मा इन्नी अदऊका कमा अमरता फस्तजिब ली कमा वअदता इन्नका ला तुखलिफुल मीआद।।

तर्जुमाः – खुदा या इस रात में तेरी बारगाह में आने वाले तेरी तरफ़ आचुके हैं और इरादा करने वालों ने तेरा इरादा किया है और तरे फज्ल व अहसान की उम्मीद तलबगारों ने लगाई है और तेरे लिये इस रात में लुत्फ़ व इनआम व बखशिश हैं जिनके जरिये तूं अपने बन्दों में जिस पर चाहता है एहसान करता है और उन्हें मना करता है जिन के लिये ध्यान नहीं रखता है अब मैं तेरा फकीर बन्दा तेरे फज्ल व करम की उम्मीद लगाए हुए दरबार में आ गया हूँ। तो अगर मुम्किन हो तो ए मेरे मौला अपनी मख्लूक में से एक बन्दे पर फज्ल व एहसान कर और अपनी महर बानी से इनआम अता कर, दुरूद भेज मुहम्मद व आले मुहम्मद पर जो पाक व पाकीज़ा और फज्ल वाले हैं और मुझ पर अपना फज्ल व अहसान कर। ऐ दुनिया के पालने वाले और अल्लाह का दुरूद हो मुहम्मद खातमल अंबिया पर और उनकी आल पर और सलाम हो जो सलाम का हक़ है, बेशक खुदा हमीद व मजीद है, खुदा या तुझ से दुआ करता हूँ जैसा कि तूने हुक्म दिया है, तू अपने वादे के मुताबिक़ कुबूल कर तू वादा ख़िलाफ़ी नहीं करता है।

नमाज विन्न:

नियत:- 1 रकत नमाज़े ए वित्र पढ़ते है क़ुर्बतन इलल्लाह

ये दुआ पढ़ने के बाद एक रकअत नमाज विन्न पढ़े जिस में सूरह हम्द के बाद एक मर्तबा सूरह कुल हुवल्लाहु अहद, एक मर्तबा सूरह कुल अऊज़ बिरबबल फलक और एक मर्तबा सूरह कुल अऊज बिरबबन्नास पढ़े फ़िर हाथ उठा कर ये दुआए कुनूत पढे।

“ला इलाहा इल्लल्लाहुल हलीमुल करीम, ला इलाहा इल्लल्लाहुल अलिय्युल अजीम, सुब्हानल्लाहि रब्बिस्समावातिस्सब-इ वरब्बिल अर्जीनस्सब-इ वमा फाहिन्ना वमा बैनहुन्ना वमा फौकहुन्ना वमा तहतहुन्ना वहु-व रब्बुल अर्शिल अज़ीम, वसलामुन अलल मुर्सलीन, वल हमदलिल्लाहिल रब्बि आलमीन, या अल्लाहुल्लज़ा लैसा कमिसलिही शैउन वहुवस्समीउल बसीर व स्वल्लि अला मुहम्मदिव व आलि मुहम्मद”

तर्जुमाः – नहीं है कोई अल्लाह के सिवा जो हलीम व करीम है, नहीं है कोई अल्लाह के सिवा जो आला और अज़ीम है, पाक और पाकीज़ा है जो सात आसमानों का रब और सात जमीनों का और जो कुछ उसके ऊपर है और जो कुछ उसके नीचे है सबका रब है, और वह अर्श अज़ीम का रब है, सलाम हो मुर्सलीन पर और सारे और सारी तारीफ उसके लिये है जो आलमीन का रब है, ए अल्लाह कि जिसके मिस्ल कोई चीज़ नहीं है और वह समी व बसीर है और मुहम्मद व आले मुहम्मद पर दुरूद व सलाम हो।

उसके बाद सत्तर “70” दफा या सौ “100” दफा अस्तग्फार पढे।

“अस्तरफिरुल्ला-ह रब्बी व अतूबु इलैह ।

उसके बाद सात मर्तबा ये पढे।

“अस्तफिरुल्लाहल्लजी ला इलाहा इल्ला हुवल हय्युल कय्यूम, बि-जमी-इ जुल्मी व जुर्मी व इस्राफ़ी अला नफ्सी व अतूबु इलैह”

तर्जुमा:- माफी मांगता हूँ उस अल्लाह से जो एक है और हमशा से जिन्दा और काइम है, माफी मांगता हूँ तमाम जुल्म व जुर्म और इस्राफ से जो हमने अपने नफ्स पर किये हैं।

फिर सात मर्तबा ये कहे।

“हाज़ा मकामुल आइज़ि बिका मिनन्नार”

तर्जुमाः- इस जगह पर तुझसे पनाह मांगते हैं दोज़ख की आग से।

“रब्बि असातु व जलम्तु नफ्सी व बिअसा मा सनातु व हाज़िही यदाया या रब्बि जज़ाइमा बिमा कसबत व हाज़िही रकबती फ़ाज़िअता लिमा आतैतु वहा अनाज़ा बैना यदैका फखुज लिनफ़सिका मिन नफ़सिररिजा हत्ता तर्जा लकल उतबा ला अऊदु”।

तर्जुमाः- ऐ मेरे पालने वाले मैने बुरा किया है अपने नफ्स पर, जुल्म किया और जो खराब काम थे मैने उन दोनों हाथों से किये, ऐ अल्लाह मैने जो किया उसका बदला है और मेरी गर्दन है जो तेरे सामने झुकाता हूँ, तू अपनी मर्जी से बदला ले और मै तेरे सामने आजिज़ी के साथ खड़ा हूँ, मेरे नफ्स ने जो किया है तू अपने पास से जैसी सज़ा हो दे और मैं अपने वादे से नहीं हटूंगा।

उसके बाद 300 मर्तबा ये कहे। “अल अफ-व” फिर उसके बाद ये कहे।

“रब्बिग फिरली वर हम्नी वअतूबु इलैहि इन्नका अन्तत्तव्वाबुर रहीम”

तर्जुमाः- ऐ मेरे रब मुझे बख़्श दे, मेरे ऊपर रहम कर मेरी तोबा कुबूल कर तू तोबा कुबूल करने वाला है।

उसके बाद 40 ज़िन्दा या मुर्दा मोमिनीन का नाम लेकर दुआ करे। अल्लाह हुम्मग़ फिर ले…मोमिनीन का नाम … 1…….. 2……… 3…………. 4……… 5…….. 6……. 7………. 8……………. 9…………. 10……………11…….. 12…… 13……….. 14…………… 15……….. 16………. 17………. 18………. 19………. 20……… 21………. 22……… 23………. 24………. 25……….. 26……….. 27……….. 28………. 29…………. 30…………. 31……. 32…….. 33…………. 34…………… 35…………….. 36……… 37…….. 38…………. 39……… 40……….. आप चाहे तो 40 से ज़्यादा भी नाम ले सकते है !

जैसे:- अल्लाह हुम्मग़ फिर ले अली, अल्लाह हुम्मग़ फिर ले फ़ात्मा, अल्लाह हुम्मग़ फिर ले हसन इसी तरह आप कितने भी नाम ले सकते है आप ज़िंदा या मुर्दा किसी के भी नाम ले सकते है !

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