Dua

Rohani Bimari Ka Ilaj, Jismani Bimari Ka Ilaj, Waswaso Ki Bimari

Rohani Bimari Ka Ilaj

रूहानी और जिस्मानी बीमारी 

Rohani Bimari Ka Ilaj हज़रत इमाम अली अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) की खिदमत में एक शख्स आया और अर्ज करने लगा !

या अली अब्ने अबी तालिब अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) मेरे पाँव जलते है जिस्म भारी हो जाता है ऐसा लगता है जैसे नज़र और हसद के असरात मुझ में है किसी ने कुछ करवाया है और सेहत भी आजकल बेहतर नहीं रहती है मै क्या करूँ !

इमाम अली अब्ने अबी तालिब अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) ने फ़रमाया ऐ बंदा ए खुदा याद रखना अल्लाह ने इंसानो के लिए हज़ारो नेहमते ज़मीन पर रखी है उनमे एक नेहमत दरख़्त है !

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तो तुम रोज़ असर और मग़रिब के बीच में किसी दरख़्त के साए में बैठकर या शाफियो या रेहमानो या करीम का विर्द करो तो अल्लाह के फ़ज़्लो करम से हर शैतानी, रूहानी और जिस्मानी बीमारी से अल्लाह की पान्हा में रहोगे !

क्युकी अगर किसी इंसान पर नज़र और हसद के असरात होते है तो दरख़्त वो तमाम असरात खुद पर ले लेता है !

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