Namaz

Namaz E Ayaat In Hindi, Suraj Grahan Ki Namaz Ka Tarika, Chand Grahan Ki Namaz

Namaz E Ayaat In Hindi

Namaz E Ayaat In Hindi नमाज़े ए आयात का तरीका:

Namaz E Ayaat In Hindi: नमाजे आयात नमाज़ आयात इन चीजों की वजह से वाजिब होती हैं। 1- सूरज ग्रहन 1- चाँद ग्रहन, अगरचे इसके कुछ हिस्से को ही ग्रहन लगे, और अगर इन्सान पर उसकी वजह से खौफ भी तारी ना हो। 3- जल्जला, एहतियात वाजिब के बिना पर, अगरचे उस से कोई भी खौफ जदह न हुआ हो !

अल्बत्ता बादलों की गरज, बिज्ली की कड़क, सुर्ख व सियाह आंधी और उन्हीं जैसी दूसरी आसमानी निशानियाँ जिन से अक्सर लोग डर जाएं और इसी तरह जमीन के हादसात मिसाल के तौर पर दरया और समुन्दर का पानी सूख जाना और पहाड़ों का गिरना जिन से अक्सर लोग डर जाते हैं इन हालात में एहतियात मुस्तहब की बिना पर नमाजे आयात तर्क नहीं करना चाहिये ! 

नियत: नमाज़ पढता हूँ 2 रकात नमाज़ ए आयात क़ुर्बतन इलल्लाह !

पहली रकअत: Namaz E Ayaat

सुराह हम्द पढ़े उसके बाद कोई भी सुराह पढ़े फिर रुकू में जाए
रुकू में जाकर रुकू का ज़िक्र करे !

फिर खड़े हो जाए फिर सुराह हम्द और दूसरा सुराह पढ़े
फिर रुकू में जाये और रुकू का ज़िक्र करे !

फिर खड़े हो जाए फिर सुराह हम्द और दूसरा सुराह पढ़े
फिर रुकू में जाये और रुकू का ज़िक्र करे !

फिर खड़े हो जाए फिर सुराह हम्द और दूसरा सुराह पढ़े
फिर रुकू में जाये और रुकू का ज़िक्र करे !

फिर खड़े हो जाए फिर सुराह हम्द और दूसरा सुराह पढ़े
फिर रुकू में जाये और रुकू का ज़िक्र करे !

5 रुकू मुक़म्मल होने के बाद सजदे में जाये और सुबह की नमाज़ की तरह सजदा करे !

दूसरी रकअत: Namaz E Ayaat

जिस तरह से पहली रकात में अपने पाँच रुकू करने किये है उसी तरह से आपको दूसरी रकात में भी पांच रुकू करने है उसके बाद सजदे में जाये और सुबह की नमाज़ की तरह तशहुद और सलाम पढ़ कर नमाज़ तमाम कर दे !

दुआ ए क़ुनूद: हर रकात में दूसरे रुकू से पहले दुआ ए क़ुनूद भी पढ़े तो मुस्तहब है लेकिन अगर आप नहीं भी पढ़ते तो दूसरी रकात के आखरी रुकू से पहले क़ुनूद पढ़ ले तो काफ़ी है !

वज़ू किन चीजों से टूट जाता है ?

नमाज़ ए आयात कब वाजिब होती है?
सूरज ग्रहण, चाँद ग्रहण या ज़लज़ला आने पर नमाज़ ए आयात वाजिब हो जाती है !

किन चीज़ो से नमाज़ ए आयात वाजिब होती है?
सूरज ग्रहण, चाँद ग्रहण या ज़लज़ला आने पर नमाज़ ए आयात वाजिब हो जाती है और जिन इलाको में सूरज ग्रहण या चाँद ग्रहण नज़र आता है ये नमाज़ उन्ही इलाके में वाजिब होती है !

नमाज़ ए आयात का वक़्त क्या है?
चाँद और सूरज ग्रहण होते ही नामज़ ए आयात वाजिब हो जाती है ग्रहण ख़तम होने तक, यानि ग्रहण शरू होने से ग्रहण ख़तम होने तक आप किसी भी वक़्त नमाज़ ए आयात को अदा कर सकते है !

क्या इसकी कज़ा वाजिब है?
अगर चाँद ग्रहण और सूरज पर मुक़म्मल ग्रहण लगा था तो इसकी कज़ा वाजिब है !

क्या सब जगह पर नमाज़ ए आयत वाजिब है?
नहीं, जिन इलाको में सूरज ग्रहण या चाँद ग्रहण नज़र आता है ये नमाज़ उसी इलाके में वाजिब होती है !

अगर ग्रहण होने का हमको मालूम न हो तो क्या हुक्म है?
अगर चाँद ग्रहण और सूरज पर मुक़म्मल ग्रहण लगा था और आपको चाँद ग्रहण और सूरज ग्रहण होने का आपको मालूम नहीं था और आपको बाद में मालूम हुआ तो इसकी कज़ा वाजिब है !

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