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Amal e Shab e Qadr Shia in Hindi

Amal e Shab e Qadr Shia in Hindi: शबे क़द्र के आमाल दो प्रकार के हैं: एक वह आमाल हैं जो हर रात में किये जाते हैं जिनको मुशतरक आमाल कहा जाता है और दूसरे वह आमाल हैं जो हर रात के विशेष आमाल है जिन्हें मख़सूस आमाल कहा जाता है।

वह आमाल जो हर रात में किये जाते हैं

1 गुस्ल:

सूरज के डूबते समय किया जाए और बेहतर है कि मग़रिब व इशा की नमाज़ को इसी गुस्ल के साथ पढ़ा जाए 

2 नमाज़:

दो रकअत नमाज़, जिसकी हर रकअत में एक बार सूरह अल हम्द और सात बार सूरह तौहीद (कुल हुवल्लाहो अहद) पढ़ा जाए | और नमाज़ समाप्त करने के बाद (70) सत्तर बार अस्तग़फ़ेरुल्लाहा व अतूबो इलैह पढ़े रिवायत में है कि जो भी यह करे अल्लाह उसके जगह से उठने से पहले ही उसको और उसके मां बाप को बख़्श देता है।

3 अमाले क़ुरआन:

क़ुरआन को खोले और सामने रखने के बाद कहेल्ला हुम्मा इन्नी अस्अलोका बेकिताबेकल मुनज़ले वमा फ़ीहे इस्मोकल अकबरो व असमाओकल हुस्ना वमा योखाफ़ो व रजा अन तजअलनी मिन ओताकाएका मेनन्नार उसके बाद दुआ मांगे। क़ुरआन को सर पर रखे और यह दुआ पढ़े अल्लाहुम्मा बेहक़्क़े हाज़ाल कुअने व बेहक़्क़े मन अरसलतहु व बेहक़्क़े कुल्ले मोमिनिन महतहु फ़ी व बेहक़्केका अलैहिम फ़ला अहदा आअरफ़ो बे हक़्केका मिनका

फिर ये पढ़े:

10 बार कहे:

बेका या अल्लाहो (जल्ले ज़लाल हूँ)

10 बार कहे:

बे मोहम्मदिन (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)

10 बार कहे:

बे अलिरियन (अहिस्सलाम )

10 बार कहे:

बे फ़ातेमता (अलैहिस्सलाम)

10 बार कहे:

बिल हसने ( अलैहिस्सताम)

10 बार कहे:

बिल हुसैने (अलैहिस्सलाम)

10 बार कहे:

बे अलीयिब्निल हुसैने ( अलैहिस्सलाम)

10 बार कहे:

बे मोहम्मदिबने अली (अलैहिस्सलाम )

10 बार कहे:

बे जाफ़रबने मोहम्मद (अलैहिस्सलाम )

10 बार कहे:

बे मुसा इब्ने जाफ़ारिन् (अलैदिस्सलाम)

10 बार कहे:

बे अलीयिबने मूसा अलैहिस्सलाम)

10 बार कहे:

बे मोहम्मद इब्ने अली (अलैहिस्सलाम )

10 बार कहे:

बे अली इब्ने मोहम्मदिन (अलैहिस्सलाम)

10 बार कहे:

बिल हसनिबने अलीयिन (अलैहिस्सलाम)

10 बार कहे:

बिल हुज्जते क़ाएमे (अजफज) इसके बाद जो भी चाहे दुआ मांगे।

4 ज़ियारत:

ज़ियारते इमाम हुसैन (अ.स ) रिवायत में है कि जब शबे क़द्र आती है तो आवाज़ देने वाला सातवें आसमान से आवाज़ देता है कि ख़ुदा ने बख़्श दिया उसको जो इमाम हुसैन (अ.स) की क़ब्र की ज़ियारत करे।

5 शब बेदारी:

इस रात में जागना रिवायत में आया है कि जो भी इस रात को (ख़ुदा की इबादत में ) जागे ख़ुदा उसके गुन्हाओ को माफ़ कर देता है चाहे वह आसमान के सितारों से ज़्यादा और पहाड़ों एवं नदियों से भी अधिक भारी ही क्यों न हों।

6 100 (सौ) रकअत नमाज़:

इस रात में पढ़े जिसकी बहुत फ़ज़ीलत है और बेहतर यह है कि हर रअकत में सूरह अल हम्द के बाद 10 (दस) बार सूरह कुल हुवल्लाहो अहद पढ़े।

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