Imam Jafar Sadiq Ka Waqia | Or Najjashi ka Waqia
Imam Jafar Sadiq Ka Waqia
Imam Jafar Sadiq Ka Waqia शहर ए अहवास का रहने वाला एक किसान इमाम जाफर सादिक़ अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) की खिदमत में आया और अर्ज़ की मौला में किसान हूँ और खेती करता हूँ मुझ पर 10,000 दिरहम टैक्स लगा दिया गया है मेरी इतनी आमद ही कहाँ है के में 10,000 दिरहम टैक्स अदा कर सकू मेरा जीना दूभर हो गया है !
मौला अहवास का हाकिम नज्जाशी है आपके शियो में से है आप अगर शिफारिश कर दे के वो हमारे हाल पर रहम करे तो हमारा मसाला हल हो सकता है इमाम इमाम जाफर सादिक़ अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) ने एक छोटे से कागज़ पर लिखा बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम। … अपने दीनी भाई को खुश करो अल्लाह तुम्हे ख़ुशी अता करेगा !
उस शख्स ने ख़त लिया मदीने से अपने अपने शाहर ए अहवास वापस आया हाकिम के पास पोहचा और कहा इमाम जफ़र सादिक़ अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) ने तुम्हारे ज़िम्मे एक काम सुपर्द किया है ये कहकर इमाम का वो ख़त पेश किया !
हाकिम ने जैसे ही इमाम अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) का ख़त देखा फ़ौरन उसे आखो से लगाया पूछा क्या काम है उस शख्स ने कहा हमारी मुश्किल हल करो !
हाकिम ने पूछा तुम्हारी क्या मुश्किल है जवाब दिया में एक किसान हूँ मेरी आमदनी सिर्फ इतनी है के में अपना खर्च चला लेता हूँ इस साल मुझ पर 10,000 दिरहम टैक्स लगा दिया गया है मेरे पास इतनी रक़म नही है में कहा से अदा करुगा !
नाज्जाशी ने हुक्म दिया जिस रजिस्टर पर टैक्स वगैरा के हिसाब लिखे जाते है उसे लाया जाए और फिर हुक्म दिया उस रजिस्टर से उसका नाम काट दिया जाए ! में खुद अपने ज़ाती माल से उसका टैक्स अदा करुगा ! फिर उससे सवाल किया क्या तुम अब खुश हो उसने कहा हाँ !
नाज्जाशी ने कहा आइंदा साल भी टैक्स देने की ज़रूरत नही है में अपने माल से अदा कर दुगा ! उसने कहा कुर्बान जाऊ
फिर नज्जाशी ने कहा चुके तुमने मेरे का ख़त इसी कालीन पर दिया है जिस पर हम लोग बैठे है लिहाज़ा ये कालीन भी तुम्हारी हुई ले जाओ ! तुम इस बात से ख़ुश हुए या नही ! उसने कहा कुर्बान जाऊ !
नज्जाशी ने हुक्म दिया उसे एक सवारी भी दी जाए लिहाज़ा उसे सवारी के बतोर घोडा या ऊँट दिया गया होगा वो भी बैतुल माल के पैसे से नही बलके उस बादशाह के अपने पैसे से, फिर उसने सवाल किया क्या तुम खुश हुए, हर चीज़ अता करने के बाद पूछता था क्या तुम ख़ुश हुए !
वो जवाब देता था कुर्बान जाऊ वो ऐसा क्यों कर रहा था चुके इमाम ने फ़रमाया था अपने दीनी भाई को खुश करो लिहाज़ा जब भी वो नेकी करता था तो पूछता था क्या तुम मुझसे ख़ुश हुए !
फिर उस किसान से कहा जब भी कोई काम हो मेरे पास आ जाना अगर मेरे बस में रहा तो में उसे हल करने की कोशिश करुगा ! तुम अब खुश हो ना जवाब मिला कुर्बान जाऊ !
ये किसान उसी साल या एक साल बाद फिर इमाम के पास आया की खिदमत में आया अर्ज़ की मोला आपके शिया नज्जाशी ने तो कमाल कर दिया इमाम ने पूछा ऐसा क्या कर दिया !
उसने वाकिया नकल करना शरू कर दिया मुझे ये दिया वो दिया जैसे जैसे वो बयान करता जाता था इमाम खुश होते जाते थे जब उसने पूरी दास्तान बयान कर दी तो इमाम जाफर सादिक़ अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) बहुत ख़ुश हुए !
उस किसान ने कहा मौला उसने ये चीज़े मुझे अता की है और आप इतना ख़ुश हो रहे है इमाम ने फ़रमाया अल्लाह की कसम उसने अल्लाह और अल्लाह के रसूल को ख़ुश किया है इससे पहले की तुम ख़ुश हो, हम खुश होते है !
अगर किसी मोमिम का अहतराम किया जाए तो ये अहलेबैत ए अतहार अलेमु सलाम का अहतराम है जो पूरी उम्मत के बाप है !
- Imam Ali Raza A.S. Ka Angoor Ka Waqia
- Jafar jinn ka Amal जाफ़र जिन का अम्ल
- Khana Khane Ke Adab In Hindi | Pani Peene Ke Adaab
- Masjid Mei Chirag Jalane Ka Jawab मस्जिद में चिराग़ जलाने का सवाब !
- Masjid Mein Jhadu Dene Ka Sawab मस्जिद में झाड़ू देने का सवाब !
- Check Website Earning
- What is the easiest way to double your money?