Namaz e Ghufayla Shia | Namaz e Ghufayla Ka Tarika | नमाज़े ए गुफ़ैला
Namaz e Ghufayla Shia
Namaz e Ghufayla Shia: नमाज़े ए गुफ़ैला का तरीका हिंदी में !
नमाज़े ए गुफ़ैला:
वक्तः ये नमाज़ मगरिब और इशा के बीच पढ़ी जाती है।
नियतः नमाज़े ए गुफ़ैला पढ़ता हूँ दो रकअत सुन्नत कुर्बत इलल्लाह।
तरीकाः पहली रकअत में सूरह हमद के बाद ये दुआ पढ़े।
बिसमिल्ला हिर रहमानिर रहीम !
व जन्नूनि इज़्ज़हबा मुगाजिबन फ़ज़न्न अल्लन नकदिरा अलैहि फ़नादा फिज्जुलुमाति अल ला-इला-ह इल्ला अन्ता सुबहानका इन्नी कुन्तु मिनज्जालिमीन। फ़स-तजब-न लहु व नज्जैनाहु मिनल गम्मि व कज़ालि-क नुनजिल मोमिनीन।
तर्जुमाः – और जुन्नून “यूनुस नबी को याद करो” जब वह गुस्से मे आकर चल दिये और उन्हो ने ख्याल किया कि हम उन पर रोजी तंग न करेंगे तो हम ने उन्हें मछली के पेट में पहुंचा दिया तो घटा टोप अंधेरे में घबराकर चिल्ला उठे कि परवर दिगार तेरे सिवा माबूद नहीं तू हर एक जैब से पाक व पाकीज़ा है। बशक मैं गुनहगार हूँ। पस हमने उन की दुआ कुबूल की और उन्हे रंज से नजात दी और हम तो ईमानदारों को यूंही नजात दिया करते हैं। “सूरह अंबिया 21 आयत न0 87”
दूसरी रकअत में सूरह हमद के बाद ये दुआ पढ़े।
बिसमिल्ला हिर रहमानिर रहीम:
व इन्दहु मफातीहुल गैबि ला यालमुहा इल्ला हूव, व यालम् मा फिल बररि वल बहॅर, तसकुतु मिव वरकतिन इल्ला या-लमु-ह वला हब्बतिन फी जुलुमातिल अर्जि वला रतबिंव वला याबिसिन इल्ला फी किताबिम मुबीन।
तर्जुमाः- और उसी के पास गैब की कुनजयाँ हैं और उन को उसके सिवा कोई नहीं जानता, और जो कुछ जमीन और समुन्दर में है उसको भी वह जानता है, और कोई पत्ता भी पेड़ से नहीं गिर सकता मगर वह ज़रूर जानता है, और न कोई दाना जमीन की तारीकी में है और न कोई तर या सूखी चीज़ है मगर ये कि वह रौशन किताब “यानी कुरान” में मौजूद है। “सूरह इनआम 6 आयत 59”
उसके बाद कुनूत में ये दुआ पढ़े:
अल्ला हुम्मा सलल अला मुहम्मदिंव व आलि मुहम्मदिन अल्ला हुम्मा इन्नी अस्अलुका बि-मफातिहिल गैबिल्लती ला यालमु-ह इल्ला अन्त अन तुसल्ली अला मुहम्मदिंव व आलि मुहम्मदिन अन तफअला बी….. अपनी ज़रूरत बयान करे…. फिर कहे। अल्ला हुम्मा अनता वलिय्यु नेअमती वल कादिरू अला तलबती तालमू हाजती फ़-अस-अलु-क बिहक्कि मुहम्मदिव व आलि मुहम्मदिन अलैहि व अलैहिमुस्सलाम लम्मा कजैतहा ली……. अपनी ज़रूरत तलब करे…..ल्लाहुम-म इन्नी अस्अलुका इल्मन वासिआ, वअमलन सालिहा, वरिज्कन हलालन तय्यिबन ताहिरा, अल्लाहुम-म अन-त वलिय्यु निअमती वल कादिरू अला तलबती तालमु हाजती व अस्अलुका बिहकि मुहम्मदिंव व आलि मुहम्मदिन अन तसलल अला मुहम्मदिंव व आलि मुहम्मद।
तर्जुमा:- ऐ! खुदा मैं तुझ से ख्वाहिश करता हूँ गैब की कुन्जी के वास्ते जिस्को तेरे इलावा कोई नहीं जानता। रहमत नाज़िल फरमा मुहम्मद और मुहम्मद की आल व औलाद पर और मेरे वास्ते हलाल और पाक रिज्क अता कर, और (यहाँ अपनी ज़रूरत को कहे)। खुदा या तूही वली और नेअमत है जो भी मैं चाहता हूँ वह तेरी ताकत म है। तू मेरी ज़रूरत से खूब वाकिफ है मुहम्म्द और आले मुहम्मद के ज़रिये स्वाल करता हूँ रहमत नाज़िल फ़रमा मुहम्मद और आले मुहम्मद पर।