Ziarat Ale Yaseen in Hindi, ज़ियारत आले यासीन
Ziarat Ale Yaseen in Hindi
Ziarat Ale Yaseen in Hindi: ज़ियारते आले यासीन खुदा ने इन्सान की पैदाइश का मक्सद अपनी इबादत को करार दिया है और उसके रिज्क की जिम्मेदारी अपने सर ली है। जिस्से ये साफ ज़ाहिर होता है कि इन्सान को अपने रिज्क की फिक्र में इबादत में कमी नहीं करना चाहिये। इबादत अपने तौर पर या अपनी पसन्द से किसी काम का अन्जाम देना नहीं है बल्कि इबादत खुदा के फरमान और अहले बैत अ.स (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) के बयान किये गये हुक्मों की रौशनी में आमाल अन्जाम देने का नाम है।
अगर कोई शख्स सुबह की नमाज दो रकअत के बजाए तीन रकअत पढे तो ये इबादत नहीं कहलाएगी क्यों कि खुदा के हुक्म के मुताबिक नहीं है। खुदा ने अपने दरबार में हाज़िरी के लिये अपने आदमियों यानी नबियों और रसूलों को अपना दरवाज़ा करार दिया है, कुआन में ये हुक्म दिया गया है कि उन घरों में दरवाजे से दाखिल हुवा करो तो इस लिये उसी दरवाजे से दाखिल होना जरूरी है कि हर जगह जो अल्ला ताला ने इसके लिये करार दिया है अगर काई उस दरवाजे से दाखिल नहीं होता तो ये बिलकुल उसी तरह जैसे वह सुबह की नमाज़ दो के बजाए तीन पढले ।
ये दरवाज़े अहले-बैत अ.स (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) की इमामत व विलायत का अकीदा है इसलिये इमाम ज़माना अ.स (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) की जियारत मे ये जुमला मिलता है: सलाम हो आप पर ऐ अल्लाह के वह दरवाज़े कि जिस के इलावा किसी और दरवाजे से अल्लाह की बारगाह में हाज़िर नहीं हुवा जा सकता।
यानी खुदा वन्दे ताला की बारगाह में इबादत इमाम ज़माना अ.स (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) के अकीदे के जरिये ही मुमकिन है। उसके इलावा रिवायतों में ये भी आया है कि हमारे ज़माने में खुदा की बारगाह से जो कुछ भी नाजिल होता है वह इमाम जमाना अलै0 के जरिये लोगों तक पहुंचता है और उन्हीं के जरिये बलायें और हमारी मुसीबतें दूर होती हैं, रोज़ी में इज़ाफ़ा यानी बरकत होती है, बीमारों को शिफा मिलती है।
इसी लिये इमाम ज़माना अ.स (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) ने ज़ियारत आले यासीन के सिलसिले में फ़रमाया है कि जब तुम खुदा की बारगाह में हाज़िर होना चाहो तो इस तरह कहो जिस तरह अल्लाह ने तालीम दी है। Ziarat Ale Yaseen in Hindi
ज़ियारत आले यासीन
इमाम की जियारत भी है और अल्लाह की बेहतरीन इबादत भी है, इस ज़ियारत के पढने से हमारी मुसीबतें दूर हो जाती हैं और इमाम की बारगाह में हाज़िरी का शर्फ भी हासिल हो जाता है। इस ज़ियारत की एक खुसूसियत ये है कि इस में तमाम अकीदे का जिक्र किया गया है और इमाम ज़माना अ.स (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) की ख़िदमत में उन अकीदों को पेश करके उन को ग्वाह करार दिया गया है।
वह शख्स जिसके अकीदे की सचाई इमाम ज़माना अ.स (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) की ग्वाही और तस्दीक मौजूद हो उस शख्स की निजात में कौन शक कर सकता है, इस लिये कि यही हज़रात कयामत में हमारे आमाल के बारे में सवाल करेंगे और जब यही ग्वाह हैं तो उन से बहतर अकीदे का क्या तसव्वुर और सोच है। यूँ तो ये ज़ियारत हर वक्त पढी जा सकती है लेकिन पीर के रोज़ और जुमेरात को इसके पढने की ताकीद की गई है। गैबत के ज़माने में ये एक अज़ीम तोहफ़ा है। लिहाजा हमें इस्से गाफिल नहीं रहना चाहिये।
बिसमिल्ला हिर रहमानिर रहीम
सलामुन अला आलि यासीन, अस्सलामु अलैका या दाइयल्लाहि व रब्बानिय्यु आयातिही, अस्सलामु अलैका या बाबल्लाहि व दय्याना दीनिही, अस्सलामु अलैका या खलीफतल्लाहि व नासिरा हक्किह, अस्सलामु अलैका या हुज्जतल्लही व दलीला इरादतही अस्सलामु अलैका या तालिया किताबल्लाही व तरजुमानहु अस्सलामु अलैका फ़ी आनाइ लैलिका व अतराफि नहारिका अस्सलामु अलैका या बकिय्यतल्लाही फी अर्जिही अस्सलामु अलैका या मीसाकल्लाहिल्लजी अख़ज़हु व वक्कदहु अस्सलामु अलैका या वादल्लाहिल्लज़ी जमिनहु
अस्सलामु अलैका या अय्युहल अलमुल मनसूबु वल इलमुल मसबूबु वल गौसू वररहमतुल वासिअतु वादा गैरा मकजूबिन अस्सलामु अलैका हीना तकूमु अस्सलामु अलैका हीना तक-उदु अस्सलामु अलै-क हीना तकरऊ व तुबययनु अस्सलामु अलैका हीना तुसल्ली व तकनुतु अस्सलामु अलैका हीना तरकऊ व तसजुदु अस्सलामु अलैका हीना तुहलललु व तुकब्बिरू अस्सलामु अलैका हीना तहमदु व तसतगफिरू अस्सलामु अलैका हीना तुसबिहु व तुमसी अस्सलामु अलैका फील लैलि इजा यगशा वन्नहारी इजा तजल्ला अस्सलामु अलैका अय्युहल इमामुल मामून
अस्सलामु अलैका या अय्युहल मुकद्वमुल मामूल अस्सलामु अलैका बिजवामिइस्सलामि उशहिदुका या मौलाया अन्नी अश्हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु वहदहु ला शरीकलहु व अन्ना मुहम्मदन अब्दुहु वरसूलुहु ला हबीबा इल्ला हुवा व अहलहु व उशहिदुका या मौलाया अन्ना अलिय्यन अमीरल मुमिनीना हुज्जतुह वल हुसैना वअलिययनल महम्मदिन हुज्जतुह व मूसब्ना जाफ़रिन हुज्जतुह वअलिययन्ना मूसा हुज्जतुह व मुहम्मदब्ना अलियिन हुज्जतुह वअलिययना मुहम्मदिन हुज्जतुह वल हसना बिन अलिय्यन हुज्जतुह वअश्हदु अन्नका हुज्जतुल्लाही अन्तुमुल अव्वलु वल आखिरू व अन्ना रजअतुकुम हक्कुन ला रैबा फीहा यौमा ला यनफ़ऊ नफ्सन ईमानिहा खैरन व अन्नल मौता हक्कुन व अन्ना नाकिरंव व नकीरन हक्कुन व अश्हदु अन्नन नश्रा हक्कुन वल बासा हक्कुन व अन्नस सिराता हक्कुन वल मिरसादा हक्कुन वल मीज़ाना हक्कुन वल हश्रा हक्कुन वल हिसाबा हक्कुन वल जन्नता हक्कुन वन्नारा हक्कुन वल वादा वल वईदाा बिहिमा हक्कुन या मौलाया शकिया मन खालाफाकुम व सइदा मन अताअकुम फ़ाअशहद अला मा अश्हद तुका अलैहि व अना वलिय्युन लका बरीउम मिन अदुववका फ़लहक्कु मा रजीतुमूहु वल बातिलु मा अस्खत्तुमूह वल मारूफु मा अमरतुम बिही वल मुन्करू मा नहैतुम अन्हु फनफ़्सी मूमिनतुन बिल्लही वहदहु ला शरीका लहु वबिरसूलिही व बिअमीरिल मुमिनीना व बिकुम या मौलाया अव्वलिकुम व आख़िरिकुम व नुस्ती मुअद्वतुल लकुम व मवद्वती खालिसतुल लकुम, आमीन आमीन।