Ziarat

Ziarat e Ashura in Hindi: जिय़ारत ए आशूरा

Ziarat e Ashura in Hindi: जिय़ारत ए आशूरा

बिसमिल्ला हिर रहमानिर रहीम: अस्सलाम अलैका या अबा अबदल्लाह अस्सलामु अलैका यबना रसूलिल्लाह अस्सलामु अलैका यबना अमीरिल मुमिनीना यबना सय्यिदिल वसिय्यीना अस्सलाम अलैका यबना फ़ातिमता सय्यिदति निसाइल आललमीन, अस्सलामु अलैका या खिया-रतल्लाहि वबना खैरतिही अस्सलामु अलैका या सारल्लाही वब्ना खिया-रतिही

सारिही वल वित्रल मौतूरा अस्सलामु अलैका या वअलल अर्वाहिल्लती हल्लत बिफिनाइका अलैकुम मिन्नी जमीअन सलामुल्लाही अबदम माबकीतु व बकियल्लैलु वन्नहारु या अबा अबदल्लाही लकद अजुमतिर रजियतु व जल्लत व अजुमतिल मुसीबतु बिका अलैना व अला जमीई अहलिल इस्लाम व जल्लत व अजुमत मुसीबतुका फ़िस्समावाति अला जमीई अहलिस्समावात फलअनल्लाहु उम्मतल अस्ससत असासज्जुल्मी वल जौरि अलैकुम अहलल बैति व लअनल्लाहु उम्मतन दफ़अतकुम अन मक़ामिकुम अज़ालतकुम अन मरातिबुकुमुल्लती रत्तबकुमुल्लाहु फ़ीहा वलअनल्लाहु उम्मतन क़तलक्कुम वलअनल्लाहुल मुमहहिदीना लहुम बित्तमकीनि मिन कितालिकुम बरिअतु इलल्लाहि व इलैकुम मिन्हुम व मिन अश्याइहिम व अत्बाइहिम व औलियाइहिम या अबा अबदल्लाहि इन्नी सिल्मुन लिमन सालमकुम व हरबुल लिमन हारबकुम इला यौमिल कियामह वलअनल्लाहु आला जियादि व आला मरवाना वलअनल्लाहु बनी उमय्यतन कातिबतन व लअनल्लाहुबना मरजानता व लअनल्लाहु शिमरन व

लअनल्लाहु उम्मतन अस्रजत व अलजमत व तनक्क़बत लिकितालिका बिअबी अन्ता व उम्मी लकद अजुमा मुसाबी बि-क फअस्अलुल्लाहल्लज़ी अकरमा मकामका व अकरमनी बिका अंयुर्जकनी तलबा सारिका मआ इमामि मन्सूरिन मिन अहलि बैति मुहम्मदिन स० अल्लाहुम्मज अलनी इन्दका वजीहन बिल हुसैनि फिदुनिया वल आखिरति या अबा अबदल्लाहि इन्नी अतकररबु इलल्लाहि व इला रसूलिही वइला अमीरिल मुमिनीना वइला फातिमता वइलल हसनि वइलैका बिमुवालातिका वबिल बराअति मिम्मन क़ातलका व नसबा लकल हरबा वबिल बराअति मिम्मन अस्ससा असासज्जुल्मी वल जौरि अलैकुम वअबरउ इलल्लाही वइला रसूलिही मिम्मन अस्ससा असासा ज़ालिका वबना अलैहि बुन्यानहु वजरा फी जलमही व जौरिही अलैकुम अला अशयाइकुम बरिअत इलल्लाही वइलैकुम मिन्हुम वअतकररबु इलल्लाही सुम्मा इलैकुम बिमुवालातिकुम व मुवालाति वलिय्युकुम व बिल बराअति मिन आदाइकुम वन्नसिबीना लकुमुल हरबा व बिलबराअति मिन अश्याइहिम व अत्बाइहिम इन्नी सिलमुन

लिमन सालमकुम व हरबुल लिमन हारबकुम व वलिय्युल लिमन वालाकुम व अदुवुल लिमन आदाकुम फस्अलुल्लाहल्लज़ी अकरमनी बिमअरिफतिकुम वमअरिफ़ति औलियाइकुम वरज़कनल बराअता मिन आदाइकुम अंय यजअलनी मअकुम फिदुनिया वल आखिरह, व अंय युसब्बिता ली इन्दकुम क़दमा सिदकिन फिदुनिया वल आखिरह, व अस्अलुहु अंय युबल्लिगनल मकामल महमूदा लकुम इन्दल्लाही व अंय युर्जक़नी तलबा सारी मआ इमामिन हुदा ज़ाहिरि नातिककिन बिल हक्कि मिनकुम व अस्अलुल्लाहा बिहक्कुम व बिश्शानिल्लज़ी लकुम इन्दहु अंय युअति-यनी बिमुसाबी बिकुम अफ्ज़ला मा युअति मुसाबन बि-अ-मुसी-बतिन मुसीबतम-म आज़महा व आजमा रज़िय्यतहा फ़िल इस्लाम व फ़ी जमीइस्समावाति वल अर्ज, अल्लाहुम्मज अल्नी फी मकामी हाज़ा मिम्मन तना लुहु मिन्का सलवातुंव व रहमतुंव व मगफिरह, अल्लाहुम्मज अल महयाया मह-य मुहम्मदिंव व आलि मुहम्मदिन व ममाती ममातुन मुहम्मदिन व आलि मुहम्मदिन अल्लाहुम्मा इन्ना हा-ज़ यौमुन

तबररकत बिही बनू उमय्यता वबनू आकिलतिल अकबादिल लईनुब्नुल लईनि अला लिसानिका व लिसानिका नबिय्यका स0 व आलिही फी कुल्लि मौतिनिन व मौकिफिन वक़फ़ा फ़ीहि नबिय्युका स0 व आलिह, व अलैहि अल्लाहुम्मल अन अबा सुफ्या-न व मुआवि-य-त व यजीदब-न मुआवि-य-त अलैहिम मिन्कल लअनता अबदल आबिदीना व हाज़ा यौमुन फ़रिहत बिही आलु ज़ियादतिन व आलु मरवाना बिकतलिहिमुल हुसैना सलवातुल्लाहि अलैह, अल्लाहुम्मा फ़ज़ाइफ़ अलैहिमुल लअना मिनका वल अज़ाबल अलीम, अल्लाहुम्मा इन्नी अतकररबू इलैका फी हाज़ल यौमि वफी मौकिफी हाज़ा व अय्यामी हयाती बिल बराअति मिन्हुम वल लअनता अलैहिम व बिल मुवालाति लिनबिय्यका व आलि लिनबिय्यका अलैहि व अलैहिमुस्सलाम।

फिर सौ मर्तबा कहे: अल्लाहुम्मा अलअन अव्वला ज़ालिमिन ज़लमा हक्का मुहम्मदिन व आलि मुहम्मदिन व आखिरा ताबिइन लहु अला ज़ालि-क अल्लाहम-म अनिल इसा-बतल्लती जाहदतिल हुसैना व शायअत व बायअत व ताबअत अला कलिह, अल्लाहुम्मल-अनहम जमीआ। 

फिर सौ मर्तबा कहे: अस्सलामु अलैका या अबा अबदल्लाहि व अलल अर्वाहिल लती हल्लत बिफिनाइका अलैका मिन्नी सलामुल्लाहि अबदम माबकीत व बकियल्लैल वन्नहार वला जअलहल्लाह आखिरल अहदि मिन्नी लिज़ियारतिकुम अस्सलामु अलल हुसैनि व अला अलिय्यबनल हुसैनि व अला अवलादिल हुसैनि व अला अस्हाबिल हुसैन।

फिर कहे: अल्लाहुम्मा खुस–स अन-त अव्वला जालिमिन बिल्लअनि मिन्नी वब्दउ बिही अव्वलन सुम्मस्सानी वस्सालिसा वरराबिआ, अल्लाहुम्मा अलअन यजीदा खामिसन वल अन उबैदल्लाहिन्ना जियादिन वबना मरजानता व उ-म-रब-न सअदिंव शिमरंव व आलि अबी सुफ्याना व आलि ज़ियादिन व आला मरवाना इला यैमिल कियामह।

फिर सज्दे में जाए और ये ज़िक्र पढ़े: अल्लाहुम्मा लकल हम्दु हम्दनश्शाकिरीना लका अला मुसाबिहिम, अल्हम्दु लिल्लाहि अला अज़ीमि रज़िय्यती अल्लाहुम्मर जुक्नी शफ़ाअतल हुसैनि यौमल वुरूदु व सब्बित ली कदमा सिदकिन इन्दका मअल हुसैनि व अस्हाबिल हुसैनिल्लज़ी बज़लू महजहुम दूनल हुसैनि अलै0 । Ziarat e Ashura in Hindi

यहा पर आपकी ज्यारत मुकम्मल हो गयी है ! जियारत ए अशुरा (Ziarat e Ashura in Hindi) का आसान तरीका नीचे बताया गया है आप पढ़ सकते है !

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Ziyarat E Ashura Parhne Ka Tarika: बहुत से हमारे मोमनीन मोमेनात ज़ियारत ए आशूरा बहुत ही कसरत के साथ पढ़ते है लेकिन बहुत से ख्वातीन ओ हज़रात इस वजह से ज़ियारत ए आशूरा पढने से रह जाते है के वो सोचते है के हम ज़ियारत ए आशूरा किस तरीके से पढ़े उसमे 100 लान है 100 सलाम है वक़्त बहुत ज्यादा लगेगा !

पहला तरीका:

ज़ियारत ए आशूरा पढ़ने का आसान तरीका इमाम अली नक़ी अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) ने फ़रमाया है आप फ़रमाते है एक मर्तबा तो कामिल लान पढ़ली जाए और उसके बाद 99 बार अल्लाह हुम्मा अनहुम जमिआ पढ़ ले !

और इसी तरह एक मर्तबा पूरा कामिल सलाम पढ़ले और उसके बाद 99 मर्तबा ये कहे अससलामो आलल हुसैन वा आला अली इबनल हुसैन वा आला ओलादिल हुसैन वा आला असहाबिल हुसैन !

दुसरा तरीका:

जब आप लान पढ़ते हुए आएगे तो एक बार आपको मुकम्कमल लान पढ़ना है और दुबारा में सिर्फ आपको अल्लाह हुम्मा अनहुम जमिआ पढ़ना है और ये पढने के बाद कहना है तीसा ओ तीसीन मर्रा कहना है (तीसा ओ तीसीन 99 को कहते है ) जैसे अल्लाह हुम्मा अनहुम जमिआ तीसा ओ तीसीन मर्रा !

इसी तरह जब आप सलाम पर आएगे तो एक बार आपको मुकम्मल सलाम पढ़ना है और दुबारा में सिर्फ आपको अससलामो आलल हुसैन वा आला अली इबनल हुसैन वा आला ओलादिल हुसैन वा आला असहाबिल हुसैन पढ़ना है और ये पढने के बाद कहना है तीसा ओ तीसीन मर्रा कहना है (तीसा ओ तीसीन 99 को कहते है ) जैसे अससलामो आलल हुसैन वा आला अली इबनल हुसैन वा आला ओलादिल हुसैन वा आला असहाबिल हुसैन तीसा ओ तीसीन मर्रा

ख़वातीन का अक्सर सवाल होता है के ज़ियारत ए आशूरा वगैरा के जो अम्ल होते है 40 रोज़ के तो उसमे हमारे महाना अदद की वजह से कुछ वक्फे आ जाते है तो हम किस तरह से 40 रोज़ का अम्ल करे !

ऐसी हालत में भी आपको ज़ियारत को छोड़ने की ज़रूरत नही है उस हालत में भी ज़ियारत ए आशूरा पढ़ी जा सकती है अलबत्ता सिर्फ नमाज़े ज़ियारत नही पढ़ी जाएगी वरना इसमें सजदा भी किया जाएगा दुआ और अस्कार भी पढ़े जा सकते है खुद ज़ियारत ए आशूरा भी निजासत की हालत में पढ़ी जा सकती है !

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