Namaz

Namaz E Jafar E Tayyar Ka Tarika In Hindi

नमाज़ जाफ़र ए तय्यार का तरीका

आज हम ऐसे अम्ल की तरफ मुतावाज्जो होने जा रहे है जो खुद रसूल ए खुदा सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने तालीम दी जनाबे जाफ़र ए तय्यार को जब सहाबा बैठे हुए थे तो मोला ने फ़रमाया मै आज आपको हदया देना चाहता हू तो सब लोग मुतावाज्जा हो गये की सोना ओ चाँदी मिलेगा और बहुत सारी चीज़े इनाम मिलेगे लेकिन रसूल ए करीम ने कहा की मै आज आपको ऐसा अम्ल देने जा रहा हू जो आपके लिए गुनाहों का कफारा होगा आपके गुन्हा माफ़ हो जायगे आपके लिए ये अम्ल जन्नत का ज़ामिन बन जाएगा इसके लिए मुख्तलिफ रिवायत मोह्जूद है बहुत फ़ज़ीलत है इस नमाज़ की !

नमाज़े जाफ़रे ए तय्यार का तरीका (Namaz e Jafar e Tayyar)

ये कुल 4 रकत नमाज़ है दो दो रकत करके पढनी है तो तशुद और दो सलाम के साथ  जिस तरह सुबह की नमाज़ पढ़ते है लेकिन इस नमाज़ में तस्बियात है तस्बियात ए अरबा ! 15 मर्तबा आपको तस्बियात ए अरबा पढ़नी है

पहली रकत:- में सुरह हम्द के बाद सुराह एज़ाज़ुल्ज्लातिल अर्ज़ फिर 15 मर्तबा  आपको तस्बियात ए अरबा (सुबहान अल्लाहे वल्हम्दो लिल्लाहे वला इल्लाहा इल्होलालाहो वल्लाह हो अकबर)

रुकू:- सुबहाना रब्बिल अज़ीमे वबेहम्दे कहे और फिर 10 मर्तबा तस्बियात ए अरबा (सुबहान अल्लाहे वल्हम्दो लिल्लाहे वला इल्लाहा इल्होलालाहो वल्लाह हो अकबर) कहे !

रुकू:- से सर उठाने के बाद समे अल्लाह हो लेमन हमेदा कहे और फिर 10 मर्तबा तस्बियात  ए अरबा (सुबहान अल्लाहे वल्हम्दो लिल्लाहे वला इल्लाहा इल्होलालाहो वल्लाह हो अकबर) कहे !

पहले सजदे में:- सुबहाना रब्बिल आला वबेहम्दे कहे और फिर 10 मर्तबा तस्बियात  ए अरबा (सुबहान अल्लाहे वल्हम्दो लिल्लाहे वला इल्लाहा इल्होलालाहो वल्लाह हो अकबर) कहे !

सजदे से सर उठने के बाद:- अस्तग्फिरुल्लाह रब्बी वातुबो अलेह कहे और फिर 10 मर्तबा तस्बियात  ए अरबा (सुबहान अल्लाहे वल्हम्दो लिल्लाहे वला इल्लाहा इल्होलालाहो वल्लाह हो अकबर) कहे !

फिर दुसरे सजदे में जाने बाद:- सुबहाना रब्बिल आला वबेहम्दे कहे और फिर 10 मर्तबा तस्बियात  ए अरबा (सुबहान अल्लाहे वल्हम्दो लिल्लाहे वला इल्लाहा इल्होलालाहो वल्लाह हो अकबर) कहे !

दुसरे सजदे से उठने के बाद:- फिर 10 मर्तबा तस्बियात ए अरबा (सुबहान अल्लाहे वल्हम्दो लिल्लाहे वला इल्लाहा इल्होलालाहो वल्लाह हो अकबर) कहे !

इस तरह एक रकत में आपको 75 मर्तबा तस्बियात ए अरबा (सुबहान अल्लाहे वल्हम्दो लिल्लाहे वला इल्लाहा इल्होलालाहो वल्लाह हो अकबर) पढ़नी है यानी चारो रकत को मिलकर आपको 300 मर्तबा तस्बियात ए अरबा पढ़नी है

दूसरी रकत:- में सुरह हम्द के बाद सुराह वलअदियात उसके बाद दुआ ए कुनुद फिर 15 मर्तबा तस्बियात ए अरबा (सुबहान अल्लाहे वल्हम्दो लिल्लाहे वला इल्लाहा इल्होलालाहो वल्लाह हो अकबर) कहे ! रुकू में 10 मर्तबा, रुकू से सर उठाने के बाद 10 मर्तबा, फिर पहले सजदे में 10 मर्तबा, सजदे से सर उठाने के बाद 10 मर्तबा, फिर दुसरे सजदे में 10 मर्तबा, फिर सजदे से सर उठाने के बाद 10 मर्तबा, उसके बाद तशुद और सलाम पढ कर नमाज़ तमाम कर दे !

बाकी की 2 रकत भी इसी तरह पढ़नी है 

तीसरी रकत में सुरह हम्द के बाद सुराह एज़ा जा नसरुल लाहे पढ़े !

चोथी रकत में सुरह हम्द के बाद सुराह कुल्होवाल्लाहो हो आहद !

शेख कलेयनी ने अबू साईद मराई से रिवायत की है के इमाम जाफ़र सादिक ने फ़रमाया क्या तुम्हे ऐसी चीज़ तालीम न दू जिसको तुम नमाज़ जाफ़र ए तय्यार में पढ़ा करो – तो मैंने अर्ज़ की बेशक-

फ़रमाया चोथी रकत के आखरी सजदे में जाओ तो तस्बियात ए अरबा के बाद ये दुआ पढ़ा करो! 

بسم الله الرحمن الرحيم

 سُبْحانَ مَنْ لَبِسَ الْعِزَّ وَالْوَقارَ سُبْحانَ مَنْ تَعَطَّفَ بِالْمَجْدِ وَتَكَرَّمَ بِهِ سُبْحانَ مَنْ لا يَنْبَغِي التَّسْبيحُ إلاّ لَهُ سُبْحانَ مَنْ اَحْصى كُلِّ شَىْء عِلْمُهُ سُبْحانَ ذِي الْمَنِّ وَالنِّعَمِ سُبْحانَ ذِي الْقُدْرَةِ وَالْكَرَمِ اَللّـهُمَّ اِنّي أَسْأَلُكَ بِمَعاقِدِ الْعِزِّ مِنْ عَرْشِكَ وَمُنْتَهَى الرَّحْمَةِ مِنْ كِتابِكَ وَاسْمِكَ الْاَعْظَمِ وَكَلِماتِكَ التّامَّةِ الَّتى تَمَّتْ صِدْقاً وَعَدْلاً صَلِّ عَلى مُحَمَّد وَاَهْلِ بَيْتِهِ وَافْعَلْ بى كَذا وَكَذا

इसके बाद अपनी हाजत तलब करो !

शेख़ और सय्यद ने मुफज़ल बिन उमर से रिवायत की है के मैंने इमाम जाफ़र सादिक अ.स. को देखा है की आपने नमाज़ जाफर ए तय्यार को तमाम करने के बाद हाथो को बुलंद किया और इस तरह दुआ पढ़ी! 

  • या रब्बे या रब्बे एक साँस के बराबर !
  • या रब्बा हो या रब्बा हो एक साँस के बराबर !
  • रब्बे रब्बे एक साँस के बराबर (ध्यान दे पहला वाला या रब्बे है और ये केवल रब्बे रब्बे है)
  • या अल्लाहो एक साँस के बराबर !
  • या हय्यो या हय्यो एक साँस के बराबर !
  • रा रहीमो या रहीमो एक साँस के बराबर !
  • या रहमानो या रहमानो सात मर्तबा !
  • या अर रहमर रहेमीन सात मर्तबा !

    इसके बाद अपने ये दुआ पढ़ी….

    بسم الله الرحمن الرحيم

     اَللّـهُمَّ اِنّي اَفْتَتِحُ الْقَوْلَ بِحَمْدِكَ وَاَنْطِقُ بِالثَّناءِ عَلَيْكَ وَاُمَجِّدُكَ وَلاغايَةَ لِمَدْحِكَ وَاُثْني عَلَيْكَ وَمَنْ يَبْلُغُ غايَةَ ثَنائِكَ وَاَمَدَ مَجْدِكَ وَاَنّى لِخَليقَتِكَ كُنْهُ مَعْرِفَةِ مَجْدِكَ وَاَيَّ زَمَن لَمْ تَكُنْ مَمْدُوحاً بِفَضْلِكَ مَوْصُوفاً بِمَجْدِكَ عَوّاداً عَلَى الْمُذْنِبينَ بِحِلْمِكَ تَخَلَّفَ سُكّانُ اَرْضِكَ عَنْ طاعَتِكَ فَكُنْتَ عَلَيْهِمْ عَطُوفاً بِجُودِكَ جَواداً بِفَضْلِكَ عَوّاداً بِكَرَمِكَ يا لا اِلـهَ إلاّ اَنْتَ الْمَنّانُ ذُوالْجَلالِ وَالاِْكْرامِ

    इसके बाद हज़रत ने फ़रमाया के मुफज्ज़ल जब भी कोई हाजत दर पेश हो तो नमाज़ ए जाफ़र तय्यार अदा करके इस दुआ को पढो और परवरदिगार से हाजत तलब करो इंशाल्ला हाजत पूरी होगी !

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