Dua e Samaat | Dua e Samaat Benefits | Dua e Samaat PDF
Dua e Samaat: दुआ ए समात “बिहारुल अनवार” में अल्लामा मजलिसी लिखते हैं कि “दुआए समात” हमारे साथियों के बीच बहुत ज्यादा मशहूर है। तमाम उलमाए शीआ हमेशा इसे अपने मोअबतर दुआओं में शुमार करते हैं।
शेख इब्राहीम बिन कफ़-अमी “सिफ-वतुस्सिफ़ात’ में हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अ.स (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) से रवायत करते हैं आपने फ़रमाया कि अगर मैं कसम खाऊँ कि इस दुआ में इस्मे आज़मे इलाही है तो ये सच्ची कसम होगी। ऐ मेरे दोस्तो! तुम लोग हमारे दुश्मनों और जालिमों पर इस दुआ के ज़रिये बद दुआ करो ।
अलबत्ता ये दुआ खुदा के छिपे हुए खज़ानों में से है। लिहाजा हरगिज़ औरतों, बच्चों, बद अक्लों और मुनाफ़िकों को इस दुआ की तालीम न दो। अगर कोई इस दुआ की तिलावत न कर सके तो इसे तावीज़ की शक्ल में गले में लटकाए या बाजू पर बाँधे। जुमे के दिन इसे उस वक्त पढ़ना चाहिये जब दोनों वक्त मिल रहे हों।
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