Fitra Nikalne Ka Tarika | Fitra Kaise Nikale | Fitra Kis Par Wajib Hai
Fitra Nikalne Ka Tarika
Fitra Nikalne Ka Tarika फ़ितरा हर उस शख्स पर वाजिब है जो अक्ल रखता है बालिग़ है या मालदार है मालदार से मुराद ये है के रोज़ का उसका खाना पीना उसके अपने अख्राजात में से पूरा हो जाता है और इतना कमा लेता है की उसका रोज़ का खाना पीना उसके पास मोह्जुद होता है तो ऐसे शख्स पर फ़ितरा वाजिब है मजनू और दीवाने पर फ़ितरा वाजिब नही है !
जो घर का सरपरस्त है कमाई करके घर चला रहा है उसका बालिग़ होना ज़रूरी है वो शख्स अपना भी फ़ितरा निकालेगा और उसके बाद उसकी ज़िम्मेदारी है जिनकी कफालत कर रहा है जिनके खाने पीने का ज़िम्मेदार है उन सब का फ़ितरा उस पर वाजिब है !
अपना अहलोअयाल का मुलाजिम का, मुलाजिम चाहे मोमिन हो या काफ़िर हो, अहलोअयाल में से भी अगर कोई काफ़िर है तो उसका भी फ़ितरा निकालेगा और साथ ही मेहमान का भी फ़ितरा निकालना ज़रूरी है !
अहलोअयाल में से बीवी है बच्चे है (उस बच्चे का फ़ितरा नही है जो माँ के शिकम में है) माँ बाप है उनकी कफालत कर रहे है अगर वो आपके पास रह रहे है आप उनके कफील है उनका भी आप फ़ितरा निकालेगे !
Dua Kaise Mange
इसी तरह आपका कोई मुलाजिम है एक है, दो है या ज्यादा है चाहे वो मोमिन नही भी है या आपका कोई मेहमान है, मेहमान भी ज़रूरी नही है के वो मोमिन हो, इन सब का फ़ितरा निकालना वाजिब है !
मेहमान अगर ईद की रात आपके पास मेहमान बन कर आ गया है और उसने आपके पास रहना है तो उसका अपने फ़ितरा निकालना है वाजिब है अगर मेहमान आता है फ़क़त खाना खाया थोरी देर बैठा और चला गया तो इसका फ़ितरा वाजिब नही है अगर आपके पास वो रात गुज़ारे तो इस सूरत में वो आपका मेहमान शुमार होगा और उसका फ़ितरा आप पर वाजिब है !
फ़ितरा वाजिब कब होता है ?
ईद का चाँद नज़र के बाद ईद नमाज़ से पहले पहले अगर ईद नमाज़ से पहले अदा नही किया या ईद नमाज़ नही पढ़ी तो आप उसके बाद कुर्बतन इलल्लाह की नियत से फ़ितरा निकालेगे फ़ितरा वाजिब है फ़ितरा साकित नही होगा फितरा निकालना ज़रूरी है !
क्या हम रमज़ान में ईद से पहले फ़ितरा निकाल सकते है ?
जी है निकाल सकते है !
फ़ितरा क्या है ?
तीन किलो अनाज़ या तीन किलो अनाज़ की कीमत, तीन किलो अनाज़ के पैसे उस जगह के मुताबिक़ जहा आप रह रहे है !
फ़ितरा किसको देना है ?
ये मोमिन को देना है जो शिया असना अशरी है मोमिन मुस्तहक है हराम पर नही खर्च करता अपने अहलोअयाल पर पर खर्च करेगा उसको अपने फ़ितरा देना है अपने इलाके के मोमिन को !
जो बहार रह रहे है वो किसे दे ?
वो अपने मुल्क में या किसी और मुल्क में या किसी और इलाके में अपना फ़ितरा भेज सकते है उसमे कोई मुश्किल नही है !
एक मुस्ताहिक को कम से कम एक मोमिक का फ़ितरा देना है आप सारे घर का फ़ितरा भी दे सकते है मसलन अगर एक मोमिन का फ़ितरा 100 रु बनता है और आप चाहते है के हम बीस बीस रु करके पाँच बन्दों को दे दे तो इस तरह फ़ितरा अदा नही होगा !
गैर ए सय्यद अपना फ़ितरा ज़कात फिदया सय्यद को नही दे सकता लेकिन सय्यद अपना फ़ितरा ज़कात फिदया गैर ए सय्यद को दे सकता है !
फ़ितरा आप किसी और जगह पर सर्फ़ नही कर सकते फ़क़त और फ़क़त मोमिन मुस्ताहिक को देना है
आप मस्जिद की तामीर में, या इमाम बारगाह की तामीर में फ़ितरा नही दे सकते है