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Gunaho Ki Maafi Kaise Mange | Maafi Mangne Ka Tarika

Gunaho Ki Maafi Kaise Mange

Gunaho Ki Maafi Kaise Mange कर्बला का पैगाम: जैसे ही शाहज़ादे अली अकबर ने अज़ान दी हूर खेमे से बहार आया हूर को देखकर उम्र बिन साद ने कहा क्या बात है तू बहुत परेशान लग रहा है ?

हूर ने जवाब दिया में परेशान नही हूँ में जहानुम और जन्नत के दरमियान फैसला नही कर पा रहा हूँ उम्र बिन साद ने पूछा क्या मतलब है तेरा ?

हूर ने कहा अगर में तेरा साथ देता हूँ तो में जहानुम के शोले को देख रहा हूँ जो मुझे घेर लेगे और अगर में हुसैन अ.स.(अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) का साथ देता हूँ तो मै जहानुम की आग से बच जाऊगा फिर उम्र बिन साद ने कहा मतलब क्या है तेरा क्या कहना चाहता है तो फिर हूर ने जवाब दिया में जहानुम नही जाना चाहता इसलिए में इमाम हुसैन अ.स.(अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) की तरफ जा रहा हूँ !

अब कर्बला का पैगाम देखिये: 

अब हूर चला हुसैन अ.स.(अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) की तरफ, कैसे चला जिन हाथो को उसने लजाम पर डाला था उन हाथो को अपने बेटे से कहता है मेरे हाथो को पीछे बाध दे, अब हूर हुसैन की तरफ चलता है सर उठा कर नही चलता, हूर सर झुका कर आता है इमाम हुसैन अब्ने अली अ.स.(अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) की तरफ !

यहा पर हमे क्या पैगाम मिला जब भी तुम किसी अज़ा खाने में जाओ, किसी मासूमीन की बारगाह में जाओ तो सर उठा कर नही सर झुका कर जाओ ये मान कर जाओ के मैंने गुन्हा किया है तभी तुम्हारे गुन्हा माफ़ होगे !

अब हूर इमाम हुसैन के पास आया और अपने सर को मोला हुसैन के पैरो पर रखा और एक जुमला बोला कहा या फ़रज़न्दे रसूल या इमाम हुसैन अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) मुझे माफ़ कर दो,

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यह पर ध्यान दे हूर ने कोई लम्बी तक़रीर नही की अपनी गलतियो के लिए कोई बहाने नही बनाए के मैंने किस वजह से गुन्हा किये किसके डर से गुन्हा किये, हूर ने क्या कहा, या मोला मै अपनी गलती के लिए शर्मिंदा हूँ अपनी गलती मानता हूँ आप मुझे माफ कर दे!

अब आप देखिये इमाम हुसैन कितने करीम है के हूर कितना बड़ा गुन्हागार था लेकिन हूर ने अपने दिल की गहराई से इमाम हुसैन अ.स.(अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) से माफ़ी मागी तो इमाम हुसैन ने हूर को जनाबे हूर अ.स. का दर्जा अता किया!

दोस्तों मासूमीन के देने में कमी नही है लेकिन हमको मागने का तरीका ही नही आता है के कैसे दुआ मागनी चाहिए कैसे गुन्हाओ से तोबा करनी चाहिए !

जब भी हुसैन के पास जाओ एक्सक्यूस लेकर मत जाओ अपनी गलती को मनो और उस पर शर्मिंदा होकर तब इमाम की खिदमत में जाओ फिर देखो कैसे आपके ऊपर मोला अपना करम करते है !Gunaho Ki Maafi Kaise Mange

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