Namaz ki fazilat | Namaz ki Ahmiyat | Namaz ke fayde
Namaz ki fazilat
Namaz ki fazilat अगर हमारे शिओं को परखना है के शिया है या नही तो इनको नमाज़ के मोके पर परख लेना, अज़ान होने के बाद देखो की इनमें हलचल आई की नही आई इनमे कोई तबदीली आई की नही आई नमाज़ की आमादगी है या नही !
शिया फ़क़त नमाज़ पढता नही है नमाज़ की मुहफिज़त करता है यानि नमाज़ को अव्वल ए वक़्त में अंजाम देता है !
इमाम खुमैनी अपनी किताब में लिखते है (पैगम्बर की हदीस को नकल किया है) के जब इंसान नमाज़ को अव्वल ए वक़्त में पढता है तो नमाज़ ख़ूबसूरत शक्ल में अल्लाह के पास जायगी और जाते जाते दुआ देती जायगी के परवरदिगार जिस तरह इस नमाज़ी ने मुझे इज्ज़त बक्शी तू इसे इज्ज़त बक्श !
और जब इंसान नमाज़ को देर से पढता है जान कर ताखीर करता है अब वो भी नमाज़ तो जायगी अल्लाह के पास ही लेकिन वो बदसूरत शक्ल में जायगी और जाते जाते नमाज़ी को बद दुआ देती जायगी ए परवरदिगार जिस तरह इसने मुझे ज़लील किया तू इसे ज़लील कर !
Ziarat E Ashura Ke Fawaid
मिसाल से समझये:
एक शख्स किसी साहब के यहा शादी में गया और मेहमान आए आलिम मोलाना वगैरा भी आए इसने देखा जो आलिम लोग है या जो वीआई पी लोग है उनको पहले खाना पीना उनकी ख़िदमत पहले की जा रही है और जो आम लोग है उनको बाद में और जो घर के नोकर वगैरा है उनको आखिर में !
अब ख़ास लोगो को खाना खिलने के बाद उस शख्स से पूछा अपने खाना खाया उसने कहा नही, तो उस शख्स को खाना दिया गया ना खाने में कमी, ना मिकदार में कमी जो खाना ख़ास मेहमानों को दिया गया वही खाना उस शख्स को भी दिया गया सारी चीज़े मिली,
अब जो ये शख्स घर वापस आता है तो चेहरा उतरा हुआ होता है घर वालो ने पूछा क्या हुआ जवाब दिया अब कभी इनके यहा नही जायगे ज़लील करते है करते है बुला कर, क्यों क्या हुआ खाना नही मिला – कहा मिला, तो फिर गुस्सा किस बात का है कहा जब सबको खिला चुके तब हमे पूछा !
पहले पूछ लेना हमारे यहा इज्ज़त है, और ताखीर से पूछे ज़िल्लत, सबसे पहले पूछा सबसे ज्यादा इज्ज़त !
नमाज़ का टाइम हो गया कारोबार छोड़ा, दोस्तों को छोड़ा, मोबाइल को छोड़ा, सब कुछ छोड़ कर कर खड़े हो गये अल्लाह की बारगाह में यानि नमाज़ की इज्ज्ज़त हमारी निगाहों में दूसरी चीज़ों से सबसे ज्यादा है इसलिए जो नमाज़ अव्वल ए वक़्त में पढ़ी जाती है वो नमाज़ अल्लाह को बहुत पसंद है !