Pregnancy me Roza rakh sakte hai | Roza in pregnancy in Hindi
Pregnancy me Roza rakh sakte hai
Pregnancy me Roza rakh sakte hai वो ख्वातीन जो प्रेग्नेंट है और बच्चो को दूध पिला रही है उनके लिए रोज़े का क्या हुक्म है ?
हामला का रोज़ा :
अगर ख़ातून के लिए या बच्चे के लिए दोने के लिए रोज़ा रखना नुकसान का बाइज़ है और डॉक्टर ने मना किया के आपको रोज़ा नही रखना है वो रोज़ा छोड़ सकती है और उसके लिए रोज़ा छोड़ना जाईज़ है बाद में उसकी कज़ा करेगी !
अगर डॉक्टर ने कहा है रोज़ा रख सकती है कोई मसला नही है तो उस सूरत में रोज़ा वाजिब होगा, ख़ातून को पता है के में रोज़े रख सकती हूँ और डॉक्टर ने भी कहा के आप रोज़े रख सकती है तो उस सूरत में रोज़ा वाजिब है जान बुझ कर छोड़ना कफारे का मोजीब बन जायगा !
वो ख़ातून जो दूध पिला रही है बच्चे को :
वो ख़ातून जो बच्चो को दूध पिलाती है वो किसी और ख़ातून से कहे के वो बच्चे को अपना दूध फीड करा दे या ऐसे दूध जो बच्चे को फीडर के ज़रिये दिए जाते है और बच्चा आसानी से पी भी लेता है और उसकी ग्रोथ भी उससे हो जाती है तो उस ख़ातून पर रोज़ा रखना वाजिब है !
हा वो बच्चा जो फक्त माँ का दूध पीता है इब्तादाई दिन है उसको इज़ाफ़ी दूध देना मुनासिब भी नही है बीमार हो सकता है तो उस सूरत में वो ख़ातून अपना दूध दे सकती है और अगर दूध कम हो जाए रोज़े की वजह से तो उस सूरत में रोज़ा छोड़ सकती है !
रोज़ा रखने वाली या हामला ख़ातून इब्तादाई तोर पर इन पर रोज़ा वाजिब है कहा जाता है के इनपर रोज़ा साकित है या इनको रोज़ा नही रखना कुछ लोग कहते है रोज़ा रख रही है और बच्चो को दूध पिला रही है तो ऐसा नही कहना चाहिए, अगर ऐसा नुकसान है जो उस ख़ातून या बच्चे को हो सकता है तो उस सूरत में वो रोज़ा छोड़ सकती है !
दूध कम हो जाये :
यानि ख़ातून बच्चे को दूध पिला रही है और उसका दूध कम हो जाता है रोज़े की वजह से और बच्चे की लिए अज़ीयत का बाईज़ बनेगा और बच्चे बहुत छोटा है कोई और तरीका नही है तो उस सूरत में भी ख़ातून रोज़ा छोड़ सकती है !
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अगर दूध कम नही होता :
अगर ख़ातून दूध पिला रही है या दुसरे तरीके से बच्चे को दूध दिया जा सकता है तो रोज़ा वाजिब है और अगर जान बुझ कर रोज़ा छोड़ा जायगा तो कफारा भी वाजिब हो जाएगा !
लेकिन अगर ख़ातून के लिए रोज़ा छोड़ना शरी तोर बार जईज़ था फिर भी वो कज़ा रोज़े के साथ साथ फिदिया भी देगी !
फिदिया क्या है?
फिदिया 750 ग्राम जौ, चावल, गेहू, आटा जो अनाज आप दे सकते है गरीब मोमिन मुस्ताहिब को, एक रोज़े के बदले में 750 ग्राम फिदिया देना है !
वो ख़ातून जो हामला है और 8वा, 9वा महीना चल रहा है डाक्टरों ने कहा है रोज़ा रखना उसकी सेहत के लिए मुनासिब नही है और शरी तोर पर वो रोज़ा छोडती है फिर भी उसको रोज़े की कज़ा के साथ साथ फिदिया भी देना है !