Shab e Juma Dua Shia | दुआ-ए-शबे जुमा
Shab e Juma Dua Shia
दुआ-ए-शबे जुमा
Shab e Juma Dua Shia साहिबे क-स-सुल उलमा लिखते हैं कि हमारे वालिद ने लिखा है कि जनाब आखविन्द मुल्ला मुहम्मद बाकिर ने तहरीर में देखा है कि बन्दए खाकी मुहम्मद बाकिर बिन मुहम्मद तकी जुमे की रात में एक वक्त ये दुआ देख रहे थे तो उसमें एक दुआ ऐसी नज़र आई कि इससे उनके दिल में ये हुआ कि इस रात ये दुआ पढ़े दूसरे जुमे की रात में चाहा की ये दुआ पढूँ इतने में ऊपर से आवाज़ आई कि ऐ फाज़िल व कामिल अभी पिछले जुमे की रात जो दुआ पढ़ी थी इसका सवाब लिखने से किरामन कातिबीन अभी तक फरिख नही हुए, खुलासा ये के हर शब् ए जुमा या हर शब् को इस दुआ का पढ़ना बहुत सवाब का बईज़ है !
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अल-हम्दु लिल्लाहि मिन अव्वलिदुनिया इला फनाएहा व मिनल आखिरति इला बकाएहा, अल-हम्दु लिल्लाहि अला कुल्लि नेअमति व अस्तगफिरूल्लाहु मिन कुल्लि जम्बिन व अतूबु इलैहि या अर-हमर-राहिमीन।
इस दुआ को खास जुमे की शब में पढ़ने के अलावा दूसरे दिनों में पढ़ना भी बहुत फजीलत रखता है।