Tasbihat e Arba Benefits तस्बीहाते अरबा की फ़ज़ीलत
Tasbihat e Arba Benefits: तस्बीहाते अरबा की फ़ज़ीलत सही हवालों के साथ हज़रत इमाम जाफ़र सादिक अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) से नक्ल हआ है कि जो आदमी इन तस्बीहात को हर नमाज़ की जगह से उठने से पहले पढ़े तो जिस हाजत का अल्लाह से सवाल करेगा वह पूरी करदी जाएगी।
Tasbihat e Arba Benefits:
“सुब्हानल्लाहि वल-हम्दु लिल्लाहि व ला इला-ह इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर” (इस आयत की तिलावत को हीतस्बीहाते अरबा कहा जाता है)
एक दूसरी सही हवालों के साथ इमाम जाफ़र सादिक अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) से रवायत नक्ल है कि अगर कोई आदमी तीस मर्तबा यही दुआ पढ़े तो उसके बदन पर कोई गुनाह नहीं रहेगा। हज़रत अमीरूल मोमिनीन अली अ.स. (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) ने बर-अ बिन अअज़ब से फरमाया है कि क्या चाहता है कि तुझे ऐसी चीज़ बतलाऊँ कि अन्जाम देने से तू अल्लाह का हकीकी दोस्त बन जाए।
उसने कहा हाँ! आपने फ़रमाया कि हर नमाज़ के बाद तस्बीहाते अरब को दस मर्तबा पढ़ाकर और अगर ऐसा करेगा तो दुनिया में हज़ार मुसीबतें दूर होंगी, जिनमें से एक दीन में शक हो जाना है
और आखिरत में तेरे लिए हज़ार दर्जे मुहय्या किये जायेंगे जिनमें से एक ये होगा कि तू रसूले खुदा सल्लाहो अलैहि वालेहि वसल्लम (अल्लाह हुम्मा सल्ले अला मोहम्मद वा आले मोहम्मद) के पड़ोस में रहेगा।